Sunday, May 24, 2009

मै, मेरी पत्नियां और व़ो


मारे गये गुलफाम, बेचारे करुणा जी पर कोई भी करुणा दिखाने को तैयार नहीं है, औरो की क्या बात करें जब बीवियों ने ही शिकंजा कस रखा है। सो अच्छा खासा ड्रामा चला। एक्शन, रोमांस, थ्रिल, डायलॉगबाजी जमकर हुई। लोगों ने खूब मजा लिया। करुणा जी तो अच्छे स्क्रिप्ट राइट रहे ही हैं लेकिन इस बार बहुत सोच समझकर स्क्रिप्ट लिख रहे थे क्योंकि उनकी बीवियां स्वंय ही सलाहकार के रूप में मौजूद जो थीं। मीडिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़़ रखी थी। किसी धारावाहिक की भांति खबरों में हो रहे प्रगति पर पल-पल नजरें जमाए बैठे थे। यह नया धारावाहिक पूरी तरह हिट रहा। लेकिन बीच में फंसे मनमोहन की स्थिति तो देखने लायक है। कांग्रेस के कुछ नेता तो आर पार के ही मूड में थे। मगर मनमोहन की दिल करुण हो गया और आखिरी फैसला उन पर ही छोड़ दिया कि कहीं कोई बीवी नाराज न हो जाए नहीं तो तमिलनाडु में राजनीतिक भूचाल आ सकता था।
डीएमके प्रमुख ने मनमोहन को परेशान कर रखा था और करुणा की करूण हालत की जिम्‍मेदार उनकी पत्नियां उन्हें किसी भी तरीके से बख्शने को तैयार नहीं थी। करुणानिधि और उनकी पत्नियों से सजे इस ड्रामे के बीच मनमोहन सिंह वो बन गए थे। कई दिनों से सुर्खियों में चल रहे डीएमके प्रमुख यूं तो यूपीए सरकार में मंत्री पद के लिए सुर्खियों में बने रहे लेकिन वास्‍तव में उनकी समस्‍या मंत्री पद थी ही नहीं उनकी समस्‍या एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन-तीन थी। इन तीनो समस्‍याओं का एक ही नाम है मिसेज करुणानिधि। तीन शादियां करुणानिधी ने की हैं लेकिन परेशान मनमोहन सिंह हो गए हैं। उनका कुसूर इतना है कि जनता ने उन्‍हें बहुमत से यूपीए के प्रधानमंत्री के लिए चुना है और नेता जी यूपीए में महत्‍वपूर्ण अंग हैं।
नेता जी जिद पर अडे़ हुए थे कि उनको आठ मंत्रालय चाहिए ज‍बकि वो, मतलब मनमोहन सिंह उन्‍हें सात ही सीटे देने को ही तैयार हैं। करुणानिधी इस बात पर मानने ही वाले थे कि उनकी बीबियों ने तांडव मचाना शुरू कर दिया। पहली बीवी चाहती थी कि उनके बेटे को मंत्रालय मिले जबकि तीसरी पत्‍नी चाहती है कि उनकी बेटी को मंत्रालय मिले। जबकि फैमिली ड्रामें के अलावा पार्टी का सीन भी है। अब इन दोनों में से जो भी जाएगा वह अकेला तो जाएगा नहीं उनके साथ उनका एक हेल्‍पर भी मंत्रालय जाएगा। तो पत्नियों और बच्‍चों और पार्टी सदस्‍यों को संतुष्‍ट करने भर के मंत्रालय तो उनके पास होने ही चाहिए। लेकिन वो तो सात की जिद पर अड़ गए। पिछले कई दिनों से उहापोह की स्थिति समाप्‍त होने का नाम ही नहीं ले रही है यही कारण है कि प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण पर केवल 19 मंत्रियों ने ही शपथ ली। मनमोहन जी करुणा जी को मनाने में लगे थे इधर करुणा जी अपनी एजी, ओजी और सुनो जी में ताक धिना धिन कर रहे थे।
डीएमके प्रमुख के घर पर बीवी है कि मानती नामक कार्यक्रम चल रहा है। इसके लिए उनके घर पर एक बैठक आयोजित की गई जिसके बारे में पत्रकारों ने कहा कि बैठक की कोई ख़बर बाहर नहीं आ पाई। भई आप क्‍यों किसी के घर में ताक झाक कर रहे हैं। अपने घर की बात कोई बाहर वालों को क्‍यों बताएगा और वो भी आपको। बिना बताए तो आप लोगों ने इतना कुछ जाना और जनवाया, अब अगर आपको खुद ही कुछ बता दिया तो क्‍या हाल करेंगे ये तो आप भी नहीं जानते होंगे।

2 comments:

  1. ये लोग नए जमाने के 'राजा' हैं जिनका एक और केवल एक ही उद्देश्य है:

    अपनी वंश वृद्धि - संख्या में नहीं, धन और सत्ता में.

    लिखती रहें. चरैवेति चरैवेति

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  2. word verification हटा दें तो मेहरबानी हो.

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