Thursday, July 23, 2009

हौसला क्‍यों नहीं देता


गम अगर देता है तो हौसला क्‍यों नहीं देता
वो नाखुदा है तो मेरा फैसला क्‍यों नहीं देता
मेरी किस्मत की लकीरों में अगर नहीं है वो
दिल-ए-बर्बाद अब उसे भुला क्‍यों नहीं देता
हर फर्द लगा है मेरे जब्‍त को आजमाने में
कोई अजनबी आकर मुझे रुला क्‍यों नहीं देता
जिंदगी दे नहीं सकता तो मौत ही दे या रब
वो मेरे चाहत का कोई सिला क्‍यों नहीं देता
हम पर इल्‍जाम है जिंदगी से प्‍यार करने का
उसको गम है तो जहर पिला क्‍यों नहीं देता
मुसलसल देखता रहता है जाने क्‍यों खला में
भरी पलकों से अश्‍कों को गिरा क्‍यों नहीं देता
अजब नासमझ हो गया दिल इन दिनों मेरा
पूछता है तमन्‍ना से मिला क्‍यों नहीं देता

16 comments:

  1. gam wo deta hai hausala hame rakhana padata hai,kyonki ye manushy ki agnipariksha hoti hai.
    by the way..aapki kavita bahut achchai hai.
    badhayi..sundar aur bhavpurn kavita ke liye..

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  2. वाह, बहुत सुन्दर गजल है !

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  3. काबिले तारीफ...जितनी भी तारीफ करूँगा कम पड़ जायेगी

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  4. संजय कुमार मिश्र
    सोनालिका जी आपका हौसला तो आपकी लेखनी है। आपकी इस रचना में जो गहराई है वो किसी गंभीर साहित्यकार से कम नहीं है। इतनी कम उम्र में आपका यह लेखन वाकई में अदभुत है। आप हमेशा ऐसे ही कुछ रचती रहें यही कामना कारता हूं।

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  5. मुसलसल देखता रहता है जाने क्‍यों खला में
    भरी पलकों से अश्‍कों को गिरा क्‍यों नहीं देता

    कमाल का शेर कहा है आपने...बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत.....बधाई.

    नीरज

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  6. अजब नासमझ हो गया दिल इन दिनों मेरा
    पूछता है तमन्‍ना से मिला क्‍यों नहीं देता
    बेहतरीन लिखा है यार बहुत बेहतरीन लेकिन और बेहतर लिखो गी मुझे पता है इस लिए यहीं रूकना नहीं
    तू शाहीन है परवाज है काम तेरा
    तेरे सामने आशियाँ और भी है...

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  7. मेरी किस्मत की लकीरों में अगर नहीं है वो
    दिल-ए-बर्बाद अब उसे भुला क्‍यों नहीं देता
    बहुत सुन्दर -- वाह

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  8. हम पर इल्‍जाम है जिंदगी से प्‍यार करने का
    उसको गम है तो जहर पिला क्‍यों नहीं देता

    bahut hi khub likha hai aapane dil ko chhoo gayi

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  9. hay hay............re loot liya mehfil ko
    bahut khoob
    umda ghazal..................BADHAI !

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  10. बहुत ही उम्दा

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  11. मेरी किस्मत की लकीरों में अगर नहीं है वो
    दिल-ए-बर्बाद अब उसे भुला क्‍यों नहीं देता
    kya kahu?dil ko chhoo liya aapki rachna ne.....

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  12. अजब नासमझ हो गया दिल इन दिनों मेरा
    पूछता है तमन्‍ना से मिला क्‍यों नहीं देता

    dil ko choo gai

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  13. Behtareen........ Yoon hi likhati raho. wo din door nahi jab tumhari tamannayen poori hongi.

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