Friday, July 24, 2009

खो गया मेरा राह दिखाने वाला

अब नहीं आंखों में ख्‍वाब है आने वाला
चैन से सो रहा है मेरी नींद उडाने वाला

मेरी राहों में बिछाए रहता था पलकों को
आज गिरने पर भी न हाथ बढा़ने वाला

कल तलक मेरी उंगली पकड़ चलता था
मेरे आंगन के बीच दीवार उठाने वाला

चाय के पैसे बचा लेता है आफिस में
कुनबे का बोझ कांधों पर उठाने वाला

हर दर पर मंजिल का गुमान होता है
कहां खो है मेरा गया राह दिखाने वाला

मेरी ही यादों में लिपट कर रोया होगा
यूं अचानक पहलू से उठकर जाने वाला

अब तो ख्‍वाबों में दिखता है धुंधला सा
किस देश में जाकर बसा है जाने वाला

दिन भर हकीकत की धूप में जलता है
शाम को परियों की कहानी सुनाने वाला

वो मुसाफिर कुछ देर ठहरा था शहर में
अब कोई आए उसका जादू मिटाने वाला

मेरे गुनाहों की राह में आगे-आगे था जो
एक वो भी था मुझपर पत्‍थर उठाने वाला

क्‍या कहूं किस तरह जिंदगी ने लूटा है
मैं न था मायूसी का साथ निभाने वाला

हो सके तो एक बार लौट कर आ जाना
जर्रा जर्रा तुम्‍हे है मेरा हाल बताने वाला

दरवाजे पर टिकी रहती है मां की निगाहे
हर पल लगे है अबकि बेटा है आने वाला

क्‍या करु हारना सीखा नहीं तमन्‍ना ने
खुदा बनकर अब आए मुझे हराने वाला



20 comments:

  1. बहुत बहुत बहुत सुन्दर ......बधाई

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  2. Bahut badhiya likha hai,
    haan thodi lambi ho gayi hai rachna...
    Aur compact-si hai so padhne men dikkat hoti hai thodi...

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  3. neeraj ji agali baar se dyan rakhoongi
    shukriya

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  4. Sonalika,
    I think it's beautiful. Actually no words to say. Simple words but touching & deep.

    Though I am not a good poet but I think each & every word has written very well & leangth doesn't matter because without it you were not able to express whole story of it. It's just ways of writing. One person can write whole thing in 2 lines, other takes so many line.

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  5. i would say its an amazing composition...
    truly written using the ink of the heart....
    keep writing....
    also visit my recent composition "kya ye paisa sab kuch khareed sakta hai"

    shukriya.

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  6. तमन्ना जी मान गए....आप में हुनर है जो शब्दों से सब कुछ कह देती हैं

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  7. kal talak meri ungali pakad ke
    chalata tha..
    meri aangan me diwar uthane wala

    sach kaha aapne..aaj ke duniya ka charitr chitran..
    badhiya geet...
    badhayi!!!

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  8. कल तलक मेरी उंगली पकड़ चलता था
    मेरे आंगन के बीच दीवार उठाने वाला

    दिन भर हकीकत की धूप में जलता है
    शाम को परियों की कहानी सुनाने वाला

    bahut sundar lagin ye panktiyan!

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  9. वाह !! क्या बात है !!!

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  10. aapki kavita padhte- padhte zindgi ke kai bhaav ek saath jee gai.
    baut sunder likha aapne

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  11. ग़ज़ल को देखता हूँ तो सोचता हूँ ये कोई पत्रकार है या शाईर ... बहुत उम्दा है कुछ शेर और कंही कंही जानी पहचानी सी आहटें भी देती है सुनाई

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  12. मेरे गुनाहों की राह में आगे-आगे था जो
    एक वो भी था मुझपर पत्‍थर उठाने वाला
    Behtareen......

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  13. संजय कुमार मिश्र
    सोनालिका जी बहुत संुदर रचना है। शब्दों का ताना बाना बुनना कोई आपसे सीखे। काबिले तारीफ है।

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  14. dr.amarjeet kaunkeJuly 26, 2009 at 12:21 AM

    वो मुसाफिर कुछ देर ठहरा था शहर में
    अब कोई आए उसका जादू मिटाने वाला

    vaise to ghazal ka har sher lajwab hai par is sher ka koi mukabla nahi....amarjeet kaunke

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  15. once again amazing writing sonalika.
    How beautifuly u describe the pain of mother.
    Good luck

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  16. वाह सोनालिका जी.......
    आपकी तमन्ना ने काफी सोचने पर मजबूर किया........
    बहुत खूब......

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  17. बेहद सुंदर ...और अल्फाज़ नही ..मेरी आँखें नम हो आयीं ...

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