भइया शब्द यूपी और बिहार वालों की पहचान माना जाता है। ऐसा सुना है कि कुछ क्षेत्रों में इसे गाली भी माना जाता है। यकीनन वह क्षेत्र भारत के अत्याधुनिक क्षेत्रों में होंगे। वैसे मेरा मुद्दा यह है भी नहीं। आज राखी का त्योहार है, अरे नहीं भई राखी सावंत का नहीं। राखी नाम ही बदनाम हो गया है बिल्कुल भइया की ही तरह। जिसे चाहो बना लो भइया। आजकल भइया शब्द एक ऐसी ओढ़नी की तरह इस्तेमाल किया जाता है जिसे लड़कियां सुरक्षा का मजबूत कवच मान लेती हैं। पर क्या ऐसा होता है। अगर कोई लड़की किसी लड़के साथ ज्यादा हिलमिल जाती है तो समाज की निगाहें तिरछी हो जाती हैं जरूर कोई चक्कर है, लड़कियां बडे़ ही गुस्से में उन्हें भाई बनाते हुए कहती हैं कि अरे यह तो मेरा भइया है।
लड़कियां उन लड़कों को भइया बना डालती हैं जिनसे उन्हें थोडा़ भी खतरा महसूस होता है, यानि कि सुरक्षा का मजबूत कवच। लेकिन ऐसा होता नहीं। किसी की सोच आपके लिए बदल नहीं जाती। भइया कह देने मात्र से कोई पुरूष आपका भाई नहीं बन जाता। उसके विचार एक पुरुष की जगह एक भाई के नहीं हो जाते। अक्सर लड़के भी इस हथियार का इस्तेमाल कर ही लेते हैं कि तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है, मैं तुम्हारे भाई जैसा हूं यार, चाहो तो इस रक्षाबंधन पर राखी बांध देना। गरज बस इतनी कि आप उन पर भरोसा कर उनसे बात करें, उनके साथ घूमें और वह आपका फायदा उठा सकें।
कार्यालयों में भी अक्सर लड़कियां कुछ ऐसे ही पैंतरों का इस्तेमाल करती हैं। जिससे उनका फायदा निकल सकता उसे भैया बना लेती हैं। हर किसी को भइया का संबोधन देकर अपने को सुरक्षित कर लेती हैं। जिसे उन्होंने भाई कह दिया उसकी नजरों में वह पाक साफ हो गई। आजकल तो हालात इतने खराब हो गए हैं कि प्रेमी-प्रेमिका दुनिया से खुद को बचाने का यही रास्ता समझ आता है कि एक-दूसरे को भाई बहन बता दो।
क्या दुनिया के बाकी रिश्ते अपवित्र ही होते हैं? क्या एक लड़का और एक लड़की का रिश्ता तभी पवित्र है जब वह भाई बहन हो? क्या किसी को भी भइया कह देने से वह आपका भाई बन जाता है? क्या हम इसे कोई और नाम नहीं दे सकते? हम इतने गंदे हैं या हमारा समाज कि इतने पवित्र रिश्ते को इस तरह से बदनाम करने पर मजबूर हैं?
भाई बहन का रिश्ता बहुत पवित्र रिश्ता है, यह रिश्ता है भरोसे का, यह रिश्ता है मानका, यह रिश्ता है रक्षा का। और भी रास्ते हैं खुद को सुरक्षित करने के, और भी रिश्ते हैं दुनिया में बनाने को, और भी रास्ते हैं खुद को दुनिया की नजरों से बचाने के और एक लड़का और लड़की अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं बशर्ते आपके मन में कोई चोर न हो। ऑफिस में काम करने वाले आपके कलीग हैं उन्हें वही रहने दें तो अच्छा है तो कृपया इस रिश्ते का यूं अपमान न करें, इसलिए प्लीज हर किसी को भइया मत कहें।
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sahi kaha aapne bilkul...
ReplyDeletesachchai ko pradarshit karti hui rachna hai aapki...
bahtu achey...
रिश्ते का यूं अपमान न करें, इसलिए प्लीज हर किसी को भइया मत कहें।
ReplyDeleteअच्छा आलेख, अच्छी भावना
विचारणीय आलेख. अच्छा लगा.
ReplyDeletesochane par wiwash karata yah lekh.......sundar
ReplyDeleteaapke aalekh me shabd-shabd se ek hi arth nikal rahaa hai ki
ReplyDeletena keval hamaara man saaf hona chaahiye balki hamaari drishti bhi pavitra honi chahiye
yadi manav se maanav ka keval maanveeyata ka naata kaargar nahin hai toh fir koi bhi rishtaa kaargar nahin hai..........
aajkal toh sage rishte bhi kalankit ho rahe hain aise me banaavati rishton se kyaa ummeed karen ?
badhaai ! aapka aalekh achha laga.............
right sonalika! achcha laga...padha kar.. bilkul mere jaisa sochti ho... .Natural relations agar honestly nibha liye jaye aaj ke zamane mein to utna hi kaafi hai...ek baat jo yahan kahna chhoongi......ye budhape ki taraf agrasar hot logo ya phir saaf- shuthre buddhe ye bhi "bitiya" banane se baajh nahi aate...pata nahi ..lekin kyo log india mein ristey bananey mein hi pakeejgi kyo dhoodte hain....." EK benaam ristaa bhi khoobsoorat aur pavitra ho sakta hai" Is sach to kahte hai par sweekar kyo nahi kar paate??
ReplyDeleteaapke blog par mera pahli baar aana hua hai.....yah post achchi lagi.....
ReplyDeleteसही कहा।
ReplyDeleteरक्षा बंधन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व भ्रातृत्व विजयी हो!
Rakshabandhan ki hardik badhai. Tumahara lekh achchha laga. Sach hai ki rishton ko pavitra banane ke liye koi nam diya jae, yah jaroori nahi. Lekin un logon ko kya kaha jae jo apne man ki chori chhipane ke lie is pyare se rishte ko kalankit karte hai. Theek hai k har koi aisa hi nahi sochta par logon ne is rishte ka majak udane me koi kasar nahi chori hai.
ReplyDeleteएक लड़का और लड़की अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं बशर्ते आपके मन में कोई चोर न हो।
ReplyDeleteye lines hum sabhi ko khud per vichar karne ke liye majboor karti hai...
http://som-ras.blogspot.com
सचमुच यह विचारणीय विषय है
ReplyDelete---
'विज्ञान' पर पढ़िए: शैवाल ही भविष्य का ईंधन है!
अच्छा आलेख, अच्छी भावना....अच्छा लगा.. सचमुच यह विचारणीय है
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने
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