Monday, August 3, 2009

क्‍या मुझसे दोस्‍ती करोगे

कहते हैं कि कुछ रिश्‍ते ऊपरवाला बनाता है, कुछ रिश्‍ते लोग बनाते हैं पर कुछ लोग बिना किसी रिश्‍ते के ही रिश्‍ते निभाते हैं शायद वही दोस्‍त कहलाते हैं। दोस्‍ती एक अनमोल रिश्‍ता है एक दोस्‍त में आप बहुत से रिश्‍तों का समावेश पा जाते हैं। कभी वह बाप की तरह डांटता है तो कभी भाई की तरह समझाता है। दोस्‍त वह होता है जिसके पास आपकी हर मुश्किल का हल होता है, दोस्‍त वह होता है जो बिना कहे ही आपकी सारी बातें समझ लेता है।
एक अच्‍छा दोस्‍त किस्‍मत से ही मिलता है। लेकिन आज हर गली और चौराहे पर आपको दोस्‍ती का उपहार खूबसूरत पैंकिंग में लिपटा हुआ मिल जाएगा। बहुत सी खुशबू बिखेरता और बहुत सी साज-सज्‍जाओं से लैस लोग आपको दोस्‍त बनाने को आतुर रहते हैं। इनका एक ही सवाल होता है क्‍या मुझसे दोस्‍ती करोगे, नई-नई बहार से मिलोगे। उनकी दोस्‍ती धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। आपके बचपन का दोस्‍त तो बस यह समझ पाता है कि आप क्‍या सोच रहे हैं लेकिन यह दोस्‍त तो वह भी समझ जाते हैं जो आप नहीं सोच रहे हैं।
इनकी दोस्‍ती की शुरुआत चैटिंग या फोन पर बात करने से शुरू होती है। यह आपसे बेहद मीठी-मीठी बातें करते हैं, सपनों की दुनिया की सैर कराते हैं। अगर आप गलती से भी उन्‍हें सच का सामना करवा दें तो वह अपने को किसी देव पुरुष की तरह सच्‍चा साबित करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं (हालांकि वह इसमें सफल नहीं हो पाते)। उनके कुछ पिटे-पिटाए डायलॉग होते हैं जैसे मैं समझता हूं इस सोसाइटी को, बेहद गंदी मानसिकता है यहां के लोगों की, इनके तो दिमाग में ही गंदगी भरी है, देखिए मैं हर लड़की से बात नहीं करता, आप मुझे सबसे अलग लगीं, मैं इस सिस्‍टम का हिस्‍सा नहीं, मुझे आप औरों जैसा बिल्‍कुल न समझिए वगैरह-वगैरह।
इनकी मित्रता मेरी तो समझ में नहीं आती आखिर फोन पर बात करने और नेट पर चैटियाने से कोई मित्र कैसे हो सकता है वह भी उल जलूल बाते करने वाला। अगर मैं अपने मित्र के बारे में कहूं तो मेरी हर एक ड्रेस चुनने से लेकर जीवन साथी तक चुनने में उसका सहयोग रहा है। लात घूंसों और मुक्‍कों से स्‍वागत का रिवाज है। एक दूसरे के बिना एक कदम न बढाने की गैर हिम्‍मती भी जुडी़ हुई है। खैर जाकि बंदरिया, उही से नाचे वाले हाल यहां भी हैं। हमें इस दोस्‍ती का तजुर्बा ही नहीं।
कई बार तो आपके रॉन्ग नंबर से फोन आता है, किसी अनजाने का वह आपसे यह कहेगा कि मुझे आपसे दोस्‍ती करनी है बस, प्‍लीज आप मुझसे दोस्‍ती कर लीजिए। बडी़ ही मासूम होती है उनकी यह फीलिंग उन्‍हें आपकी उम्र, शक्‍ल और शादीशुदा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता उन्‍हें तो बस एक हसीना से बात करने का सुख मिलता है। बहुत बार आपके जानने वाले भी ऐसा ही करने का प्रयास करते हैं इनमें आपके सहकर्मी या सहकर्मी के दोस्‍त या दोस्‍त के दोस्‍त भी शामिल रहते हैं। जिन्‍हें अगर एक लड़की का नम्‍बर मिल जाए या ईमेल आईडी मिल जाए तो एक सेकेंड भी नहीं लगता दोस्‍ती का हाथ बढ़ाने में। अगर आप उनको जानती हैं तो वह अपने को महान साबित करेंगे। आपको बहन तक कह देंगे हालांकि उनके कुत्सित दिमाग का मामला ही कुछ और होता है। अगर दोस्‍ती का ऑफर देने वाला अनजान है तो किसी मुम्‍बइया हीरो की तरह प्रेम के देश का वासी होने का प्रमाण देंगे। बेहद समझदार, खुली और आधुनिक सोच वाला, आपको आदर्श का पाठ पढ़ाने वाला दुनिया की खूबसूरती से आपको परिचित कराने वाला। आप अगर इनकी दोस्‍ती से इनकार कर दें तो अक्‍सर इनकी ईगो को ठेस पहुंच जाती है।
अनजान हसीना के खयालों में डूबे रहने वाले ऐसे ही किसी दोस्‍त की ऑफर आपको भी मिल सकती है। तो सावधान मित्रता की ये ऑफर वैसे तो कभी भी मिलती रहती लेकिन चूंकि अगस्‍त माह का पहला सप्‍ताह है तो खास ऑफर मिल सकते हैं। वैसे आप सभी को थोड़ी देर से हैप्‍पी फ्रेंडशिप डे।

25 comments:

  1. वर्ष १९३५ में यूएसए सरकार ने अगस्त प्रथम सप्ताह में एक व्यक्ति को मार दिया था. अगले दिन उसके एक मित्र ने अपने दोस्त की याद में आत्महत्या कर ली. तब यूएसए सरकार ने प्रत्येक अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाना सुनिश्चित किया. बस यही है इस दिवस की कहानी. इस प्रकार से पिछला फ्रेंडशिप डे ७२ वां दिवस था. लेकिन इस मार्मिक सत्य कथा के बारे में बहुत कम को ही पता है. अब युवा इस दिन को भी उसी तरह से सेलिब्रेट करते हैं जैसे 'वेलेंटाइन डे'. ये अज्ञानता है.

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  2. do blog mere bhi hai kabhi fursat ho to dekiyega

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  3. - "ढूँढ़ते हो यूं अकेले ही खड़े होकर किसे,
    पूछता है 'दोस्त' तेरा दिल दगा क्यों नहीं देता?

    हैं सभी अनजान बस्ती में यहाँ तेरे लिए
    उठ 'तमन्ना' दोस्ती में दिल खिजां क्यों नहीं देता??"

    तुम्हारी पुरानी २३ जुलाई की पोस्ट की शैली में नयी पोस्ट पर प्रतिक्रया देने की कोशिश की है. शुक्रिया.

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. sabse pahle to blog padhane ke liye shukriya bhupesh ji.aap ne etni achi jankari di uske liye dyanwad. aaj koi nahi janta ki kis kam ke peeche kya wajah hai bus sub adhi doad me lage hai. jis andaj me apne tippri di uske liye bhi shukhriya.

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  6. Please com to my blog too - http://www.vajood.blogspot.com/

    regards

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  7. YES !
    Happy Friendship Day Sonalika Ji .

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  8. right assessment. there are many persons who try to have a communication with any female and they offer the neme friendhip for this mean activity. actually they are the persons who lack healthy relations with females be in the school, college, workplace, society, relations etc and this causes them to be of unsound personality. one has just one option. just identify and avoid such peoples.

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  9. bahut hee sundar andaaj me anubhaw ko bayaan karee jisake liye bahut bahut shukriyaa.....kabile tarif lekh ......badhaee

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  10. अब तो अखबार में दोस्ती के विज्ञापन और नेट पर भी साथ में मोबाइल पर एस०एम०एस० प्रायः तंग रहता हूँ। कहाँ से लाऊँ दोस्ती का वो एहसास? आपका अच्छा विश्लेषण और तथकथित दोस्तों की तलाश में भटकने वालों के लिए फ्रेंडशिप डे पर बिशेष तोहफा पसन्द आया।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  11. सच्चा दोस्त अगर मिल जाय इससे ज्यादा सौभाग्य क्या हो सकता है?

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  12. Sonalika good! aaj ki date mein dosti ka issey behtar description to nahi ho sakta! Being a gal good experience u have :-) sab entertain hote hai ya karte hai

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  13. अच्छा आलेख.
    सही वस्तुस्थिति का उल्लेख

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  14. This comment has been removed by the author.

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  15. क्या इस आलेख को पढने के बाद भी कोई दोस्ताना उपस्थिति दर्ज की जा सकती है ? हां भी और नहीं भी।

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  16. nice post.

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  17. बहुत अच्छी लिखा है आपने बढ़िया लगी यह पोस्ट

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  18. great post..very straight and informative..

    http://som-ras.blogspot.com

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  19. Sachmuch tumne sachai ko apne is lekh ke jariye shabd de diye. Behatareen lekh. yoon hi likhati raho........

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