Monday, June 1, 2009

भूलता नहीं मुझको



यादों के गलियारों में एक लालटेन जलाकर
मैंने ढूढे कुछ खोए हुए पल,
पर मैं तो भूल गई अतीत को
याद नहीं, कौन था, किसने राह दिखाई
याद नहीं, पिछली पंगडंडी का मोड़
कहां तक जाता था।
जुबां पर जो अब भी है ठहरा
यह स्‍वाद कब मिला था।
बहुत याद करने पर भी याद नहीं आता
वो चेहरा, जो बहुत देर तक
निहारा करता था मुझको
शायद वह छब्‍बीस तारीख थी, जब हम तुम
कुछ पल के साथी बने थे।
उस लड़की का नाम भी याद नहीं आता,
जिसे कहते थे हम रेल का इंजन
बहुत देर भरमू यादों के गलियारे में तो
कुछ याद आए शायद मुझको,
कि पैरों में यह चोट कब लगी थी,
आखिरी किताब कौन सी पढी़ थी,
तुमने आखिरी गुलाब कब दिया था,
ये चेहरा पहले कहां देखा है,
किस तंज पर हुई थी पीडा़,
और कौन शर्त मैनें हारी है,
ये ट्रॉफी कहां पर जीती थी,
कब मिली थी मैं खुद से आखिरी बार।
याद नहीं आ रही है मुझको,
अपनी पंसदीदा गजल की कुछ लाइने ।
तुम भी तो भूल गए
वो सारी बाते, जो कही थी तुमने मुझसे
तुम भी तो भूल जाते हो,
मेरी चूड़ियों की नाप,
तुम्‍हे याद रहता है किस फाइल में क्‍या रखा है,
पर याद नहीं आता वो नाम,
जिससे भेजा करते थे अपने प्रेमपत्र मुझे।
क्‍या याद है तुमको वो गीत जो गुनगुनाते हुए
गुजरा करते थे मेरे बगल से अक्‍सर,
शायद सब ही भूल जाते हैं
बहुत सी बातें
और मेरी तरह ही करते हैं भारी भूले
लेकिन जाने क्‍यों इन भारी भूलों के बीच
जो भूल गए हैं सब
वो याद आता है मुझको
तब सोचती हूं बडा़ अच्‍छा होता है
सब कुछ भूल जाना
क्‍योंकि जो याद आता है वह भूलता नहीं कभी
याद आता है मुझको
मां भी तो भूल जाती थी
मेरी गलतियों को, शरारतों को,
बहन भी भुला देती थी
कापी के पन्‍ने को फाड़ देना और
उसकी चित्रों को खराब कर देना
भाई भी भुला देता था मेरे पीटने को और डांटने को
डैडी भूल जाते थे मुझे स्‍कूल से लाना
मां जब भूल जाती बैग में टिफिन रखना
तो डैडी आते थे देने अपने स्‍कूटर से
ये भूलता नहीं मुझको
ये याद आता है मुझको



9 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बहुत बहुत शुभकामनायें

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  2. aapka ye lekh bahut hi sunder hai. aapke blog maine pahle bhi read kiye hain.aap aur aapke vichar and lekhan shaili bahut hi Sunder.

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  3. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।एक बढिया रचना के लिए बधाई स्वीकारें।

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  4. शायद सब ही भूल जाते हैं
    बहुत सी बातें
    और मेरी तरह ही करते हैं भारी भूले
    लेकिन जाने क्‍यों इन भारी भूलों के बीच
    जो भूल गए हैं सब
    वो याद आता है मुझको
    तब सोचती हूं बडा़ अच्‍छा होता है
    सब कुछ भूल जाना

    ittifaq se hi aapke blog pe aana huaa ..
    aakarshit kiya aapke blog name ne "TAMANNA"
    aapki rachna bahot kuch yaad dila gayii ..
    marmsparshi ,uniqe khayal
    kabil-e-tariff

    is anjan mushafir ki bandhai swikaren

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  5. amazing!!! superb....i dont have words to give compliment for such a great writing....amazing........hope will visit again n again....hey 1 more thing...i also welcomes you at my blog http://rajy.blogspot.com

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  6. रेशमी ज़ज़बात से सजे अल्फाज मानो बह रहे हों .......

    मन में उमड़ते कुछ को एकदम उकेर पाना....
    इतने सहज कोमल हो कर
    वाह

    बेहद खूबसूरत रचना

    आज की आवाज

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  7. namaskar ,

    aaj aapki ye post padhkar man bahut bheeg gaya hai ....kuch bhooli bisari yaaden aa gayi hai ....

    main nishabd hoon ..bus aapko badhai deta hoon ..

    meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad bhare comment ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..

    http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html

    aapka

    Vijay

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